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चुनाव में ‘मुफ़्त’ वादों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, 21 मार्च को सुनवाई  

आगामी लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से शुरू होने वाले है। इसी बीच राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों के दौरान मुफ्त उपहार का वादा करने की योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और  न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने गुरुवार को इस पर सुनवाई करेगी। 

याचिका दायर करने वाले अश्विनी उपाध्याय की तरफ से  वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कहा कि याचिका की सुनवाई लोकसभा चुनाव से पहले होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे संज्ञान में लिया है।  

 

याचिका में क्या लिखा है 

याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं को लुभाने के उपायों पर पूर्ण प्रतिबंध लगना चाहिए क्योंकि यह  संविधान का उल्लंघन करता है। साथ ही यह लोकतांत्रिक मूल्य के लिए भी एक खतरा है। चुनाव आयोग को इससे सख्ती से निपटना चाहिए। याचिका में अदालत से यह घोषित करने का भी आग्रह किया गया है कि ऐसा करना चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को दूषित करता है।

याचिका में राजनीतिक दलों के ऐसे लोकलुभावन फैसलों को संविधान के अनुच्छेद-14,162, 266 (3) और 282 का उल्लंघन बताया गया है। याचिका में माँग की गयी है कि चुनाव आयोग ऐसे राजनीतिक दलों का चुनाव चिन्ह जब्त करके उनका पंजीकरण रद्द करे जिन्होंने सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त ‘उपहार’ वितरित करने का वादा किया हो। याचिका में दावा किया गया है कि राजनीतिक दल गलत लाभ के लिए मनमाने या तर्कहीन ढंग से मुफ्त उपहार का वादा करते हैं और मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने की कोशिश करते है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यह करने का अनुरोध किया है। 

याचिका में कहा गया है यह एक अनैतिक आचरण है जो सत्ता में बने रहने के लिए सरकारी खजाने को मतदाताओं को देने का वादा रिश्वत देने जैसा लगता है। लोकतांत्रिक सिद्धांतों और प्रथाओं को बनाए रखने के लिए इस तरह के वादों से बचा जाना चाहिए

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