सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम पर रोक लगाने से इंकार करते हुए केंद्र सरकार से तीन हफ्तों में जवाब माँगा है। सुप्रीम कोर्ट ने आज सीएए के खिलाफ दाखिल 237 याचिकाओं पर सुनवाई की। इस कानून पर तुरंत रोक की माँग कर रहे याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लागू किए हुए पहले ही चार साल हो गये हैं, ऐसे में अगर एक बार लोगों को नागरिकता मिल गई तो वापस करना मुश्किल होगा।
इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को तुषार मेहता ने कहा कि सीएए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने तुषार मेहता से पूछा कि नोटिफिकेशन पर रोक की मांग वाली याचिका पर जवाब देने के लिए उनको कितना समय चाहिए। जिस पर तुषार मेहता ने चार हफ्तों का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने जवाब देने के लिए तीन हफ्तों का समय दिया। अब केंद्र को 8 अप्रैल तक जवाब देना है और अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।
कपिल सिब्बल ने समय दिए जाने का किया विरोध
याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल ने समय दिए जाने का विरोध किया। उनका कहना था कि यदि एक बार लोगों को नागरिकता मिल गई तो वापस करना मुश्किल होगा। बाद में इन याचिकाओं का कोई फ़ायदा नहीं रहेगा। जिसके साथ ही, कपिल सिब्बल ने नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग भी की थी।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश दूसरे वकील इंदिरा जयसिंह ने भी सीएए पर रोक लगाने की मांग की। साथ ही उन्होंने मामले को बड़ी बेंच को भेजने की भी मांग की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जवाब देने के लिए केंद्र को समय दिया जा सकता है। वह कुछ समय पाने के हकदार हैं।
असम मामले में अलग से सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि असम के मामले की सुनवाई अलग से की जाएगी। याचिकाकर्ताओं में से एक वकील ने कहा कि 6 बी(4) कहता है कि नागरिकता संशोधन कानून असम के कुछ आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा। मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम पूरी तरह से बाहर है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पूरा राज्य बाहर नहीं है, बल्कि वो हिस्सा ही बाहर है जो छठवीं अनुसूची में शामिल है।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 तीन पड़ोसी देशों से आए अल्पसंख्यक प्रवासियों को नागरिकता में छूट देने के सम्बंध में है। इन तीन पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान शामिल हैं। भारत सरकार सीएए के तहत जिन प्रवासी अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने जा रही हैं उनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले भारत में शरण ली हो या रह रहे हैं।इसमें मुस्लिम शामिल नहीं किये गये हैं।