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पश्चिमी देशों को पुतिन की ललकार: दुनिया पर मँडराता परमाणु युद्ध का ख़तरा!

 

अगस्त 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के खात्मे से पहले अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम से हमला क्या जिसमे दोनों शहर में लगभग 90 हजार लोग मारे गये। आज भी उन तस्वीरों को देख कर दिल दहल जाता है। माना जाता है कि अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो चौथा विश्व युद्ध हथियारों से नहीं पत्थरों से लड़ा जायेगा क्योंकि अब बात एटब बम से न्यूक्लियर बम तक जा पहुँची है। कुछ दिन पहले रूस  के राष्ट्रपति ब्लादमीर पुतिन ने रूसी संसद को संबोधित करते हुए कहा कि अगर पश्चिमी देश रूसयूक्रेन युद्ध  में सैन्य हस्तक्षेप करते  है तो हमारे पास परमाणु हथियार हैं। क्या इसे परमाणु युद्ध की धमकी समझा जाये? क्या दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी हुई है? इन सवालों पर हमारे सलाहकार संपादक डॉ.पंकज श्रीवास्तव ने बात की वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश के रे से। पेश हैं इस वीडियो इंटरव्यू का अविकल पाठ

 

डॉ.पंकज श्रीवास्तव: रूस के राष्ट्रपति पुतिन के द्वारा परमाणु युद्ध की धमकी को कितना गंभीरता से लेना चाहिए।

प्रकाश के रे: इस बात को गंभीरता से लेना चाहिए, लेकिन इसको धमकी नहीं बोल सकते हैं, यह सिर्फ एक बयान है। पश्चिमी देशों का कहना है कि जब तक रूस युद्ध पूरी तरह हार नहीं जाता, इस युद्ध का अंत नहीं हो सकता। रूस अपना अस्तित्व बचने के लिए यह युद्ध लड़ रहा है। रूस नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) से अपनी सुरक्षा चाहता है कि अमेरिका और नाटो के हथियार रूस की सीमा पर तैनात हो। इस बात को रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने छुपाया नहीं कि यह उनके लिए अस्तित्व बचाने कि लड़ाई है। अगर बात अस्तित्व पर आएगी तो ये चिंताजनक बात है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन  का कहना है कि वह रूस के प्रशासन को पूरी तरह से अलग करना चाहता है। यूरोप में फ्रांस,इंग्लैंड और जर्मनी के पास भी परमाणु बम जैसे खतरनाक हथियार है। एक बात ये है कि  परमाणु  बम से जब हमला होगा तब होगा लेकिन उस  से पहले केमिकल बम, हाइड्रोजन बम और मिसाइल के हमले से ही बहुत बड़ा विनाश हो जायेगा। हिरोशिमा से ज्यादा बम बारूद के मामले में 7 अक्टूबर तक इजरायल गाजा पर गिरा चुका है। परमाणु हथियार के अलावा ऐसे हथियार भी है जो एक बड़ा विनाश कर सकते है।     

 

डॉ.पं.श्री: रूसयूक्रेन युद्ध की पहेली क्या है, और आज दो साल बाद युद्ध किस स्थिति में पहुंचा है? 

प्र.के.रे: युद्ध की शुरुआत 2022 में नहीं 2014 हुई थी। युद्ध से ने पहले नाटो ने यह ऐलान किया  कि हम यूक्रेन और जॉर्जिया को नाटो में शामिल करेंगे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में नाटो की स्थापना की गई थी। नए देश सूडान और फ़िनलैंड को शामिल किया गया है। रोचक बात यह की मामला फ़िनलैंड का था जिसकी पृष्ठभूमि पर नाटो की स्थापना की गई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के दो हिस्से हुए, एक हिस्सा पश्चिमी देशों को और एक हिस्सा सोवियत संघ के प्रभाव में गया। सोवियत संघ ने फ़िनलैंड से एक समझौता  किया कि फ़िनलैंड की सुरक्षा सोवियत संघ करेगा और आंतरिक मामले फ़िनलैंड अपने आप ही हल करेगा। इसको लेकर कुछ देशो को चिंता हुई। फ़िनलैंड के साथ एक अच्छी बात यह है फ़िनलैंड तटस्थ रहा। अमेरिका के मार्शल लॉ को भी फ़िनलैंड ने स्वीकार नहीं  किया। दूसरे विश्व युद्ध में फ़िनलैंड को पहले नाज़ी जर्मनी से लड़ना पड़ा। नाज़ी जर्मनी से हारने के बाद नाज़ी जर्मनी के साथ मिलकर सोवियत संघ से लड़ना पड़ा। नाज़ी जर्मनी कि सेना ने युद्ध में पीछे हटी तो सोवियत संघ के साथ मिलकर नाज़ी जर्मनी से लड़ना पड़ा। पिछले 70-80 साल से जिस फिनलैंड से सोवियत संघ की बात चल रही थी। वो आज नाटो में  शामिल हो चूका हैं। अमेरिका नाटो का जितना विस्तार करेगा उसकी विदेश नीति की सबसे बड़ी गलती होगी। 2008 में पुतिन ने जॉर्जिया पर थोड़ा सा सैन्य बल का प्रयोग किया। पुतिन ने  2014 में क्रेनिया में अपने लोगों को बचने के लिए लड़ाई कि। 2010 में  यूक्रेन के चुने हुए राष्ट्रपति को हटाया जाता है और एक पपेट राष्ट्रपति को लाया जाता है। उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में  चर्चा चली कि यूक्रेन में रूसी भाषा और नाज़ी लोगो की ताकत बढ़ रही है। 2014 में बेलारूस में फ्रांस और जर्मनी की गारंटी पर एक समझौता हुआ कि यह लड़ाई बंद कि  जायेगी। बाद में जर्मन चांसलर ने हटने के बाद कहा कि वो तो सिर्फ यूक्रेन को समय देना का एक तरीका था ताकि यूक्रेन युद्ध के लिए तैयार हो सके। 2022 में पुतिन  को लगने लगा कि नाटो अब यूक्रेन को नाटो में शामिल कर सकता है।

सोवियत संघ ने नाटो के मुकाबले वारसा पैक्ट की स्थापना कि  थी। 1991 में  जब  सोवियत संघ का विभाजन हुआ, तो रूस ने नाटो से अपनी सुरक्षा के बारे में सवाल किया, क्योंकि वरसा  पैक्ट समाप्त हो चुका था लेकिन नाटो अभी भी मौजूद था। नाटो ने रूस की सुरक्षा के सवाल के  जवाब में कहा कि नाटो अब किसी भी देश को शामिल नहीं करेगा। लेकिन नाटो आज भी नये देशों को शामिल कर रहा हैं। युद्ध की आज की स्थिति के बारे में बात करें तो यूक्रेन के राष्ट्रपति द्वारा एक आंकड़ा दिया गया कि अब तक 44000 लोगो की जान जा चुकी है। चाहे रूस हो या  यूक्रेन, युद्ध के समय कोई भी देश सही आंकड़ा नहीं बताता। रूस अब तक यूक्रेन के 20 प्रतिशत हिस्से में कब्ज़ा कर चुका है। जो लोग भूराजनीति  समझते हैं उनका कहना है रूस इस युद्ध को जब तक समाप्त नहीं करना चाहता जब तक और 20 प्रतिशत हिस्सा अपने कब्जे में कर ले। इस युद्ध से पहले यूक्रेन यूरोप में भूगोल के हिसाब से सबसे बड़ा देश था लेकिन आज दूसरे स्थान पर चला गया है। रूस धीरे धीरे यूक्रेन पर कब्ज़ा कर रहा है। लेकिन यूरोप के देशों में मंदी चल रही। यूरोप पास यूक्रेन को युद्ध में देने के लिए हथियार भी नहीं है।

 

डॉ.पं.श्री: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का कहना है कि युद्ध में सैन्य हस्तक्षेप करना चाहिए, यह पश्चिमी देशों की कोई रणनीति है या सिर्फ एक मामूली बात है

प्र.के.रे: पश्चिमी देशों के लिए एक दुखद बात यह है वहाँ के नेताओं की लोकप्रियता निचले स्तर पर है। ब्रिटेन में कुछ ही सालों में कितने प्रधानमंत्री  बदल गए। दूसरी  चीज़, अर्थव्यवस्था में भी गिरावट देखने को मिल रही है। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों  के बयान  पर अमेरिका और नाटो ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी की सेना युद्ध में शामिल हो या हो लेकिन F-16 विमान युद्ध में लड़ने के लिए भेज रहे हैं। कुछ दिनों पहले नाटो के चीफ ने कहा कि यूक्रेन के पास रूस पर हमला करने का अधिकार है। अभी तक आपने देखा होगा कि रूस ने सरकारी कार्यालय, विश्वविद्यालय, अस्पताल, पर कोई हमला नहीं किया। यूक्रेन के पास F-16 विमान चलाने के लिए कोई अनुभव नहीं है। यूक्रेन जल्दबाजी में हफ्ते दो हफ्ते में अपनी सेना को तैयार कर भी देता हैं। काम अनुभव होने के कारण यूक्रेन रूस कि  किसी भी जगह हमला कर सकता है। कुछ समय से रूस के तेल सप्लाई में परेशानी रही है। अमेरिका और नार्वे के कुछ देशों यूरोप को तेल सप्लाई कर रहे हैं। फ्रांस ने  सार्वजनिक मंच पर अमेरिका और नॉर्वे पर कहा कि यह कोई दोस्ती नहीं हुई, आप हमें इतना महंगा तेल दे रहे है। अमेरिका  यूरोप को फंसा भी रहा है और दूसरी ओर अपना फायदा भी उठा रहा है। 

 

 डॉ.पं.श्री: पश्चिम देश क्यों चाहता है कि पुतिन की ताकत  ख़त्म हो और वो रूस के शासन से हटें?

प्र.के.रे: जब सोवियत संघ का विघटन होता है,चार साल तक  रूस की स्थिति बहुत खराब थी। लेकिन जब रूस में जब पुतिन आते है तो थोड़ा सा समय लेते हैं। जीडीपी के हिसाब से  आज रूस के पास 20 प्रतिशत का कर्जा है। 2023 में ILO (International labour organization) ने कहा कि दुनिया में सिर्फ तीन देशों कि  मैक्सिको, चीन, रूस में मज़दूरी की आय  बड़ी है। युद्ध के बावजूद रूस यूरोप कि अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से उभर रही है। पुतिन निजी तौर पर सेना पर ध्यान दे रहे हैं। जो सैनिक युद्ध में लड़  रहे है उनको न्याय मिले। पुतिन ने अपना सब कुछ दांव पर लगा रखा है। युद्ध में लड़ने पर क्या हो सकता हैआप युद्ध हार सकते है, आपकी अर्थव्यवस्था ख़त्म हो सकती है। पुतिन ने इस तर्क पर ध्यान दिया इसलिए पुतिन अपने अस्तित्व बचाने कि  लड़ाई लड़ रहे हैं। 

रूस पर सिर्फ गिने चुने देशों के अलावा किसी भी देशों ने  प्रतिबंध नहीं लगा रखा है। अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के किसी भी देश ने प्रतिबंध नहीं लगा रखा। एशिया में जापान और सिंगापुर के आलावा किसी भी देश ने प्रतिबंध नहीं लगा रखा। भारत को मिलाकर 80 प्रतिशत से ज्यादा देशों की रूस पर कोई पाबंदी नहीं है। आज पुतिन की स्थिति रूस में पिछले चुनाव से बेहतर है। इसका कारण है कि पुतिन युद्ध में निजी तौर ध्यान दे रहे है। यूक्रेन में  खनिज संसाधन बहुत है जिस पर यूरोप की नजर है। रूस के पास सबसे ज्यादा खनिज संसाधन है। रूस हमेशा से ही महाशक्ति रहा है। पश्चिम देशों को बिना दुश्मन के रहने आता ही नहीं है। जब तक पुतिन अमेरिका और  पश्चिम देशों से अच्छे संबंध रखते थे, तब तक बराक ओबामा, बिल क्लिंटन, जॉर्ज बुश हो या डोनाल्ड ट्रम्प सभी पुतिन की तारीफ करते है। रूस अमेरिका के साथ मिलकर एक प्रोटोकॉल बनाना चाहता है जिससे पूरी दुनिया में  युद्ध हो सके। लेकिन इस बात पर अमेरिका की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। दुनिया में अफवाह फैला दी कि रूस अंतरिक्ष में परमाणु बम पहुंचा रहा है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद पश्चिमी देशों की ताकत बड़ी थी, सिर्फ उसको बचने के लिए युद्ध हो रहा है।                       

 

डॉ.पं.श्री: परमाणु निशस्त्रीकरण एक मुद्दा था जिसकी बहुत चर्चा होती थी, लेकिन आज उस दिशा मे कुछ नहीं हो रहा, सब कुछ उल्टा रहा है।

प्र.के.रे: विश्व व्यवस्था में संतुलन नहीं है। जैसे कि मोहल्ले में सिर्फ एक ताकतवर हो तो मोहल्ला संतुलन में नहीं रह सकता। लोग इसलिए  नहीं  बोल रहे क्यूंकि  लोग डर रहे हैं। अगर मोहल्ले में  चारपांच ताकतवर लोग मौजूद होंगे तो किसी भी समस्या को आसानी से हल कर सकते हैं। पहली बात, यह  सिर्फ परमाणु हथियार के बारे में नहीं है, और भी हथियार इस में शामिल है। गलती से दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने एक मिसाइल छोड़ी अमेरिकी ड्रोन के खिलाफ, लेकिन ड्रोन गिरा नहीं क्यूंकि मिसाइल सही दिशा में नहीं थी। ब्रिटेन में न्यूक्लिर सबमरीन का एक अभ्यास चल रहा था। जिसमे मिसाइल गलती से  चल जाती  है ओर मिसाइल पनडुब्बी के पास जा कर गिर जाती है। अगर मिसाइल  पनडुब्बी पर गिरती तो हम परमाणु संकट  देख सकते थे। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हथियारों को चलाने  के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। सभी देश अपने हिसाब से चलने लगे हैं जिस वजह से अंतरराष्ट्रीय संगठन में भी बात का हल नहीं निकल पाता। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर परमाणु हथियारों के बारे में बोलने से बचा जाता है। एक पत्रकार ने जब बराक ओबामा से सवाल पूछा कि मध्य दुनिया में कोई ऐसा देश हैं जिसके पास परमाणु बम हैं? लेकिन उन्होंने इजराइल का नाम नहीं लिया और सवाल को घुमा दिया। नॉर्थ कोरिया को आपने चारो तरफ से घेर रखा है, तो अपने बचाव के लिए हथियार बनाएगा ही। अगर आप इजराइल को बम बनाने से नहीं रोक सकते तो ईरान को कैसे रोक सकते हैं? पुतिन ने रूस के  संसद में कहा कि वह आज भी अमेरिका से बात करने के लिए तैयार है। लेकिन अमेरिका यह  बोलना बंद करे कि वह पुतिन के शासन को खत्म करना चाहता है। बेलारूस ने अपने संविधान में बदलाव दिया की हम परमाणु बम के चक्कर नहीं  में पड़ेगे। लेकिन उसने रूस के साथ मिलकर सारी तकनीक बना ली है। अगर परमाणु बम की जरुरत पड़े तो तुरंत तैयार हो जायेगा। नॉर्थ कोरिया लगातार हथियार बना रहा है। 80 प्रतिशत से ज्यादा काम ईरान कर चुका है। भारत और पाकिस्तान के पास परमाणु बम है। परमाणु बम के कारण पूरी दुनिया बर्बादी के मुहाने पर खड़ी है। लेकिन उसे पहले और भी ऐसे हथियार है जो एक बहुत बड़ा विनाश कर सकते है। 

 

        

 

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