राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को मोदी मंत्रिमंडल पद से इस्तीफ़ा दे दिया। पशुपति पारस ने इस्तीफ़े के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है। मोदी मंत्रिमंडल में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री रहे पशुपति पारस ने भतीजे चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए में पांच सीटें मिलने के बाद ये इस्तीफ़ा दिया है। चर्चा है कि पशुपति पारस इंडिया महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं?
मीडिया को संबोधित करते हुए पशुपति पारस ने कहा – ‘एनडीए अलायंस की घोषणा हो गई है और मैं पीएम मोदी का शुक्रगुजार हूं। लेकिन मेरे और मेरी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई है। इस वजह से मैंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है।‘
समझौते के मुताबिक बिहार में बीजेपी 17, जेडीयू 16, और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) 5 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। इनके अलावा जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी एक-एक सीट पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन एनडीए में शामिल पशुपति पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गयी है। शुक्रवार को पशुपति कुशवाहा ने कहा था कि वे हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, और उनकी पार्टी के अन्य सांसद वहां से चुनाव लड़ेंगे, जहां से वो 2019 में जीते थे।
आरजेडी का बयान
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि पशुपति पारस के पास पांच सांसद थे, उन्हें एक भी सीट नहीं दी गयी। जबकि चिराग पासवान अकेले सांसद थे उन्हें पांच सीट दे दी गयी। इससे ये साफ़ है बीजेपी ने रामविलास जी के उत्तराधिकारी के रूप में उनके बेटे को चुना है। पशुपति पारस को महागठबंधन में शामिल करने के सवाल पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि वह जहां हैं वहां ही उनको एक भी सीट नहीं मिली, तो वे आगे क्या बोलें।
कुछ ऐसा है चुनावी सीटों का गणित
रामविलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में विभाजित हो गयी थी। उनके भाई पशुपति कुमार पारस के पास राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का संगठन रहा और चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (आर) के नाम से नयी पार्टी बना ली। चाचा पशुपति पारस के पास चार सांसद थे जबकि चिराग पासवान अकेले पड़ गए थे। भाजपा ने समर्थन को देखते हुए पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्री बना दिया और चिराग पासवान को दरकिनार कर दिया था। चिराग का दिल्ली स्थिति बंगला भी खाली करा लिया गया था जो रामविलास पासवान के नाम आवंटित था। चिराग़ एनडीए से अलग हो गये लेकिन बिहार विधानसभा चुनावों में उन्होंने जेडीयू को भारी नुकसान पहुँचाया जो बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही थी। बाद में पशुपति पारस समर्थक दो सांसदों ने चिराग पासवान को समर्थन दे दिया था। अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि बचे हुए दो सांसद भी चिराग पासवान को समर्थन दे सकते हैं। माना जा रहा है कि रामविलास पासवान के समर्थकों का वोट चिराग पासवान को जा सकता है, इसलिए बीजेपी ने यह दाँव चला है।