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बीजेपी के #मोदी का परिवार ट्रेंड कराने के जवाब में खड़े हुए मणिपुर से लेकर बेरोज़गारों और किसानों तक के सवाल

आजकल फोन खोलते ही सोशल मीडिया पर , चाहे वो ट्विटर हो इंस्टाग्राम या फेसबुक, एक ही ट्रेंड चल रहा है #मोदी का परिवार!

ज़ाहिर है, मुद्दा प्रधानमंत्री मोदी के परिवार का है…और इरादा पटना में हुई इंडिया गठबंधन की जनविश्वास रैली में लालू यादव की उस टिप्पणी का जवाब देना है जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी का कोई परिवार ही नहीं है। लालू यादव का यह बयान परिवारवाद को लेकर पीएम मोदी की ओर से लगातार उनके और इंडिया गठबंधन के कई नेताओं को निशाना बनाने का जवाब था।

हमलों को अपना अस्त्र बनाने में माहिर बीजेपी ने इसे मुद्दा बना दिया। हमेशा व्यस्त रहने वाले नेता, मंत्री, सांसद  सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने नाम के आगे ‘मोदी का परिवार’  लिखने लगे।  #मोदी का परिवार- ट्रेंड कराने का जिम्मा मंत्रियों और सांसदों ने उठा रखा हो तो समझा जा सकता है कि आदेश कितने ‘ऊपर’ से है। चुनाव इतना नज़दीक है कि मामला केवल आइटी सेल के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। इतना ही नहीं, समर्थकों के लिए टी शर्ट भी छपवा ली गयीं, जिन पर लिखा है- “मोदी का परिवार”।

2019 के लोकसभा चुनाव में भी ऐसा किया गया था। ‘चौकीदार चोर है’ के कांग्रेस के नारे के जवाब में ‘मैं भी चौकीदार’  कैंपेन चलाया था।  ‘मोदी का परिवार’ को भी ऐसे ही ज़बरदस्त सोशल मीडिया ट्रेंड बनाने की कोशिश चल रही है। यह वही ‘विक्टिम कार्ड’  है जिसका इस्तेमाल प्रधानमंत्री मोदी अपनी जाति का हवाला देेते हुए भी कर चुके हैं- ‘ मैं ओबीसी हूं इसलिए गालियाँ मिलती हैं!’

लेकिन इस बार मसला इतना आसान नहीं है। विपक्ष ही नहीं, आम सोशल मीडिया यूज़र्स भी मोदी जी के परिवार में तमाम दाग़दार चेहरों के शामिल होने का हवाला दे रहे हैं। ये भी पूछा जा रहा है कि परिवारवाद पर निशाना साधते वक्त मोदी जी को अपने खास अमित शाह और उनके बेटे जय शाह, अनुराग ठाकुर  राजनाथ सिंह और उनके बेटे पंकज सिंह या बाँसुरी स्वराज का ख़्याल क्यों नहीं आता? परिवारवाद के ही प्रतीक कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर अजीत पवार को साथ लेने में उन्हें ज़रा भी हिचक नहीं होती और चौधरी चरण सिंह के पौत्र और चौधरी अजीत सिंह के बेटे की हैसियत से आरएलडी के बॉस बने जयंत चौधरी से गठजोड़ के लिए सारे घोड़े खोल दिये जाते हैं।

ज़ाहिर है, बीजेपी विरोधी  मोदी के ‘परिवार’ की पोल खोलने में जुट गये हैं। विपक्ष की ओर से नीरव मोदी, ललित मोदी और जयंत माल्या को मोदी जी का असली परिवार बताया जा रहा है तो किसी की नज़र में अडानी और अंबानी ही मोदी जी के असल परिजन हैं। पूछा तो ये भी जा रहा है कि आख़िर मोदी जी ने अपने मूल परिवार को कहाँ छिपा दिया? मोदी जी ने 2014 के पहले ये भी नहीं माना था कि वे विवाहित हैं और आज भी अपनी पत्नी यशोदा बेन को बिना तलाक़ दिये अपनी ज़िंदगी से दूर रखते हैं। आख़िर अग्नि के फेरे लेते वक़्त मोदी जी ने यशोदा बेन को जो गारंटी दी थी, उनका क्या हुआ? क्या 140 करोड़ के परिवार में उनके लिए कोई जगह नहीं है?

देश के 140  करोड़ लोगों को अपना परिवार बताने के पीएम मोदी के दावे के जवाब में पूछा जा रहा है कि ये कैसा परिवार है जहां दंगाई और बलात्कारी भी गर्वीले सदस्य हैं? ये कैसा परिवार है जहां परिवार का मुखिया परिवार के सदस्यों के अपराध पर न केवल चुप्पी साधे रहता है बल्कि कई बार तो लगता है कि उसने अपराध की खुली छूट दे रखी है? ये कैसा परिवार है जहां परिवार के सदस्य किसानों पर गोलियां चलाई जाती हैं और बेरोज़गारों पर लाठियाँ बरसती हैं? ये कैसा परिवार है जहां परिवार का एक सदस्य दूसरे को खालिस्तानी कहता है?  ये कैसा परिवार है जहां एक सदस्य को आतंकवादी बोला जाता है। ये कैसा परिवार है जहां परिवार की बेटियों के साथ अपराध होता रहता है और परिवार का मुखिया अपने प्रचार में लगा रहता है।

सवाल ये भी है कि क्या मणिपुर में निर्वस्त्र घुमाई गयीं महिलाएँ इस परिवार की सदस्य नहीं हैं? अगर हैं, तो मोदी जी उनकी पीड़ा से जुड़ क्यों नहीं सके? शोषक और शोषित एक परिवार कैसे हो सकते हैं? बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बड़े शान से अपने नाम के आगे ‘मोदी का परिवार’ लगा लिया है। यानी वे महिला पहलवान मोदी जी के परिवार की सदस्य नहीं हैं जिन्होंने ब्रजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

मोदी जी का परिवार पूरा देश है तो बिल्किस बानो किस परिवार की सदस्य है जिसके बलात्कारियों को बीजेपी की गुजरात सरकार रिहा कर देती है और बलात्कारियों को माला-फूल देकर स्वागत किया जाता है। क्या बिल्किस देश की बेटी नहीं है?

सच्चाई ये है कि मोदी जी का परिवार सिर्फ़ सत्ता और उसकी परिक्रमा करने वालों से बना है। भारत नाम का विचार मोदी जी के नाम से चमकाये जा रहे राजनीतिक परिसर से बहुत विशाल है जिसकी परिकल्पना में उन लोगों के ज़िंदगी में भी उजाला भरना है जिन्हें मोदी सत्ता ने सिर्फ़ और सिर्फ़ अँधेरा बख़्शा है।

 

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