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आज तक, न्यूज 18 और टाइम्स नाऊ नवभारत पर सांप्रदायिक नफ़रत फैलाने के लिए जुर्माना

न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड अथॉरिटी (NBDSA) ने 3 टीवी चैनलों पर दिखाए गए नफरती शो पर कार्रवाई करते हुए उन पर जुर्माना  लगाया है और वीडियो हटाने का निर्देश जारी किया है। इनमें एंकर अमीश, अमन और सुधीर चौधरी के शो शामिल हैं।श्रद्धा वालकर मर्डर केस और रामनवमी हिंसा पर दिखाए गए शो के लिए टाइम्स नाउ नवभारत पर एक लाख और न्यूज 18 इंडिया पर 50 हजार का जुर्माना लगाया गया है। आज तक को चेतावनी दी गई है। तीनों चैनलों को 7 दिन में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से विवादित वीडियो हटाने को कहा है।NBDSA के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एके सीकरी ने कहा है कि हर अंतरधार्मिक विवाह को लव जिहाद कहना गलत है। जस्टिस सीकरी ने समाज में नफरत फैलाने और सांप्रदायिक सौहार्द खत्म करने वाले प्रोग्राम चलाने वाले तीन टीवी चैनलों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

क्या है NBDSA

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) को पहले न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के नाम से जाना जाता था। यह निजी टेलीविजन समाचार, करंट अफेयर्स और डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है। यह भारत में समाचार, समसामयिक मामलों और डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधि है। इसका मकसद समाचार प्रसारण में हाई स्टैंडर्ड, एथिक्स और रिचुअलस को स्थापित करना है। ताकि ब्रॉडकास्टर्स के खिलाफ या उनसे जुड़ी शिकायतों का पर सही फैसला हो सके।

NBDSA ने कहा- किसी भी मुद्दे पर शो करें, समुदाय को टारगेट करना गलत

एक्टिविस्ट इंद्रजीत घोरपड़े द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों के बाद, एनबीडीएसए ने यह कार्रवाई की है। टाइम्स नाउ नवभारत पर जुर्माना इसलिए लगाया गया क्योंकि इसके एंकर हिमांशु दीक्षित को मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और अंतर-धार्मिक संबंधों को “लव जिहाद” के रूप में सामान्यीकृत करने का दोषी पाया गया था। जस्टिस सीकरी ने हिदायत दी कि भविष्य में ‘लव जिहाद’ शब्द का उपयोग बेहद सावधानी से करना चाहिए, इसका गैर जिम्मेदाराना उपयोग देश के सेक्युलर ढांचे को चरमरा सकता है। एनबीडीएसए ने कहा कि मीडिया किसी भी मुद्दे पर शो कर सकता है, लेकिन किसी व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के कृत्य के कारण पूरे समुदाय को टारगेट करना गलत है।

इसके अलावा, न्यूज 18 इंडिया पर तीन शो के लिए जुर्माना लगाया गया, जिनमें से दो की एंकरिंग अमन चोपड़ा ने की थी और एक की एंकरिंग अमिश देवगन ने की थी। इनमें श्रद्धा वालकर मामले को “लव जिहाद” के रूप में सांप्रदायिक रूप दिया गया पाया गया। इसी तरह, आज तक को सुधीर चौधरी द्वारा संचालित एक कार्यक्रम के लिए फटकार लगाई गई है, जिसमें रामनवमी के दौरान हिंसा के कृत्यों को एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने के रूप में सामान्यीकृत किया गया था। अमीश देवगन के एक और अमन चोपड़ा के दो वीडियो में श्रद्धा वाल्कर केस को ‘लव जिहाद’ बताकर सांप्रदायिक रंग देने के लिए न्यूज़18 पर 50 हज़ार रुपए का जुर्माना लगा है।न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBDSA) ने ये सारे वीडियो हर जगह से हटाने को भी कहा है।

NBDSA ने ये भी कहा कि इन कथित बहसों को लव-जिहाद के इर्द-गिर्द रखकर हत्या और हिंसा के लिए जिम्मेदार कुछ लोगों को दोषी ठहराने की जगह एक पूरे समुदाय को बदनाम किया गया। NBDSA ने कहा कि इन कार्यक्रमों में ‘लव जिहाद फाइल्स’, ’35 टुकड़ों वाला जल्लाद – नहीं होता लव जिहाद?’, ‘लव जिहाद से कैसे बचेंगी बेटियां’, ‘लव का दिखावा – जिहाद के लिए छलावा’, ‘आफताब शाहरुख सूफिया सबका जिहादी प्लान?’ और ‘यहां तो वनवे ट्रैफिक चल रहा है, सारी मरने वाली बेटियां हिंदू’  जैसी लाइनें इस्तेमाल की गईं, जो कि ऐंकर्स की गाइडलाइंस का उल्लंघन है।



शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आचार संहिता और प्रसारण मानकों के उल्लंघन का हवाला दिया, विशेष रूप से निष्पक्षता, निष्पक्षता, तटस्थता और सटीकता के संबंध में। इसके अलावा, एनबीडीएसए ने घृणास्पद भाषण की रोकथाम, एंकरों के साथ कार्यक्रम आयोजित करने और घटनाओं की रिपोर्टिंग में सांप्रदायिक कथाओं से बचने से संबंधित दिशानिर्देशों के उल्लंघन का उल्लेख किया।

एनबीडीएसए ने अपने फैसले में कहा कि मीडिया को अपनी पसंद के किसी भी विषय पर बहस करने का अधिकार है। लेकिन कुछ व्यक्तियों के कृत्यों के लिए एक पूरे समुदाय को लक्षित करने वाले कार्यक्रमों से बचना चाहिए।लाइव लॉ की रिपोर्ट कहती है कि, “लव जिहाद” पर टाइम्स नाउ नवभारत के कार्यक्रम पर आपत्ति जताते हुए, एनबीडीएसए ने कहा कि, ” इसके प्रसारण को देखने पर, ऐसा प्रतीत होता है कि प्रसारण की शुरुआत में, एंकर ने निष्कर्ष निकाला है कि एक निश्चित समुदाय की महिलाओं पर की गई ऐसी हर हिंसा या हत्या लव जिहाद से संबंधित है। यह बात प्रसारित प्रसारण के दौरान एंकर द्वारा उठाए गए सवालों और दिए गए बयानों से स्पष्ट है। जब कुछ पैनलिस्टों ने ऐसी कथित घटनाओं को सांप्रदायिक एंगल दिए जाने पर अपनी चिंता व्यक्त की तब एंकर उनपर चिल्लाया और उन्हें अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी।

एनबीडीएसए ने यह भी देखा कि ऐसे कुछ उदाहरण हो सकते हैं जहां एक विशेष समुदाय के लड़कों ने हिंदू लड़कियों से शादी की हो। लेकिन एनबीडीएसए के आदेश में कहा गया है, “ऐसे कुछ उदाहरणों को सांप्रदायिक रंग देकर अंतर-धार्मिक विवाह के बारे में सामान्यीकृत बयान नहीं देना चाहिए। प्रत्येक नागरिक को, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है, चाहे वह कोई भी हो और किसी भी धर्म से संबंध रखता हो।
केवल इसलिए कि एक हिंदू लड़की ने दूसरे धर्म के लड़के से शादी कर ली, लव जिहाद के समान नहीं होगा जब तक कि यह स्थापित नहीं हो जाता कि ऐसी हिंदू लड़की को शादी के लिए धोखा दिया गया था या मजबूर किया गया था। इसके अलावा, ऐसे जबरन विवाह की कुछ घटनाओं के कारण, पूरे समुदाय को कलंकित नहीं किया जा सकता है। इसमें कहा गया है, इस प्रकार, टीवी शो में “प्यार तो छिपा है… हिंदू बेटियां हैं” जिहादियों से बेटी बचाओ” जैसे टिकर के साथ घटनाओं को सामान्य बनाना उचित नहीं था। एनबीडीएसए ने कहा कि भविष्य के प्रसारणों में “लव जिहाद” शब्द का इस्तेमाल गंभीर आत्मनिरीक्षण के साथ किया जाना चाहिए क्योंकि धार्मिक रूढ़िवादिता राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खराब कर सकती है।

एनबीडीएसए का यह फ़ैसला निश्चित ही स्वागत योग्य है लेकिन क्या ये सज़ा या जुर्माना काफ़ी है ।  ऐंकर जो जहर फैलाते हैं, उसके एवज में जुर्माना और वीडियो हटाना कोई बड़ी सज़ा नहीं है। लोगों का कहना है कि सजा में ये भी जोड़ा जाये कि जितनी देर नफ़रती वीडियो चलाया गया हो, उसी प्लैटफॉर्म पर उतनी ही देर उसी टाइम स्लॉट में बताया जाये कि एनबीडीएसए का फैसला क्या है और क्यों वह वीडियो चलाना गलत था।  ऐंकर के साथ चैनल के मालिक  भी बैठकर ऐसे कार्यकरम के लिए माफी मांगें क्योंकि उन्हीं की दी छूट पर ये ऐंकर इतना जहर फैला पाते है।

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