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क्या बीजेपी का डैमेज कंट्रोल है राकेश टिकैत की चुनाव प्रचार से दूरी?

विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगल से लेकर उत्तर प्रदेश तक बीजेपी को हराने की अपील कर चुके किसान नेता राकेश टिकैत ने लोकसभा चुनाव से किनारा कर लिया है। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने निर्देश जारी किया है कि  यूनियन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता किसी भी राजनीतिक दल के लिए प्रचार न करें। हालांकि वे जिसे चाहे उसे वोट दे सकते है। राकेश टिकैत की ओर से जारी इस संदेश पर कई सवाल खड़े हो गये हैं। पूछा जा रहा है कि किसान विरोधी बताने के बावजूद बीजेपी को हराने की बात न करना क्या किसी डील का नतीजा है?

हैरानी की बात ये है कि 14 मार्च 2024 को रामलीला मैदान में बुलाई गई किसान मजदूर महापंचायत में चुनाव में बीजेपी के विरोध का प्रस्ताव पारित किया गया था। कांग्रेस ने इस बीच केंद्र में सरकार बनने पर स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी लागू करने का ऐलान कर दिया है। माना जा रहा था कि ऐसे में कांग्रेस को किसानों के गुस्से का सीधा लाभ मिलेगा। लेकिन टिकैत का यह निर्देश बताता है कि बीजेपी की ओर से डैमेज कंट्रोल किया जा रहा है।    

 

बीजेपी के खिलाफ प्रचार कर चुके हैं राकेश टिकैत

इससे पहले राकेश टिकैत कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ प्रचार कर चुके है। खासकर कृषि कानून के खिलाफ हुए आंदोलन का सीधा नतीजा था कि विधानसभा चुनाव में राकेश टिकैत समेत अन्य किसान नेताओं ने बीजेपी को हराने की अपील की थी। ऐेसे में लोकसभा चुनाव से दूरी बनाने का उनका रुख हैरानी भरा है। बीजेपी के कई बड़े नेताओं के साथ टिकैत के रिश्तों को देखते हुए कई तरह के संदेह जताये जा रहे हैं। 

 

शंभू बॉर्डर पर डटे हुए किसान 

इधर, पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के 38 दिन बीत गये हैं। MSP पर गारंटी की मांग कर रहे किसान शंभू बॉर्डर के अलावा खनौरी बॉर्डर पर भी डटे हुए हैं। किसानों ने कई बार दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश की लेकिन हर बार पुलिस किसानों को आगे नहीं बढ़ने देती। शंभू बॉर्डर पर चार सौ से ज़्यादा किसान संगठनों से बने संयुक्त किसान मोर्चा  एमएसपी के मुद्दे पर आंदोलन कर रहे है। 17 सितंबर 2020 को केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून लागू किए गये थे जिसको लेकर किसान संगठनों ने  लगभग एक साल तक दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन किया था। इस दौरान सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया की सरकार कृषि से जुड़े तीनो कानूनों को रद्द कर देगी। कानून तो रद्द हुए लेकिन एमएसपी का मुद्दा आज तक बना हुआ है।

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