चुनाव आयोग ने बुधवार को आचार संहिता उल्लंघन करने पर अपनी पहली करवाई केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे के ख़िलाफ़ की है।चुनाव आयोग ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आदर्श आचार संहिता के अनुसार शोभा करंदलाजे पर करवाई करने का आदेश दिया है। यह कारवाई मंगलवार को दिए गये शोभा करंदलाजे के बयान पर की गयी जिसमें उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु के लोग कर्नाटक में आकर बम धमाके करते हैं। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु के कैफ़े में धमाके के ज़िम्मेदार तमिलनाडु के लोग हैं।
चुनाव आयोग ने लोकसभा के चुनावों की तारीख़ों का ऐलान कर दिया है। तारीख़ों के ऐलान के बाद आचार संहिता को लेकर चुनाव आयोग की यह पहली करवाई है।डीएमके पार्टी सचिव आर एस भारती की शिकायत पर यह कारवाई की गयी है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से 48 घंटों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट माँगी है।
1 मार्च को बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफ़े में एक बम विस्फोट हुआ था जिसे लेकर शोभा करंदलाजे ने यह बयान दिया था, हालाँकि उसके लिए उनको माफ़ी भी माँगनी पड़ गयी थी। शोभा करंदलाजे ने कहा था – ‘तमिलनाडु से आने वाले लोग बम लगाते हैं, दिल्ली से आने वाले लोग पाकिस्तान ज़िंदाबाद का नारा लगाते हैं। और केरल से आने वाले लोग ऐसिड हमलों में शामिल होते हैं।’ शोभा करंदलाजे के इस बयान की पूरे देश में जमकर आलोचना हुई थी।तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी इसको मुद्दा बनाया था।
शिकायत में क्या कहा गया ?
डीएमके संगठन सचिव आर एस भारती की शिकायत में कहा गया था कि शोभा करंदलाजे का बयान तमिलनाडु और कर्नाटक के लोगों के बीच दुश्मनी और नफ़रत को बढ़ावा देगा। यह बयान अपने चुनावी फ़ायदे को ध्यान में रखते हुये दिया गया है। उनके इस बयान में तमिलनाडु के लोगों को चरमपंथी बताया गया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन ने ने शोभा करंदलाजे के इस बयान कड़ी निंदा करते हुए क़ानूनी करवाई की माँग की थी। उन्होंने कहा था – ‘प्रधानमंत्री से लेकर कैडर तक, भाजपा में शामिल सभी लोगों को इस विभाजनकारी नीति में शामिल होने से बचना चाहिए।’
क्या है आचार संहिता ?
चुनाव आयोग ने देश में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये कुछ नियम बनाये हैं जिन्हें आदर्श आचार संहिता कहा जाता है। इन नियमों का पालन करना सभी राजनीतिक दलों की ज़िम्मेदारी होती है। यह आचार संहिता चुनावों की घोषणाओं के साथ ही लागू हो जाती हैं। आचार संहिता चुनाव संपन्न होने तक लागू रहती है।सार्वजनिक संसाधनों का इस्तेमाल किसी विशेष दल या नेता के लिए नहीं करना, सरकारी घोषणा या लोकार्पण या फिर शिलान्यास न करना, रैली करने से पहले पुलिस की इजाज़त लेना, धर्म या जाति के नाम पर वोट न माँगना आदि आदर्श आचार संहिता में शामिल हैं।