उत्तर प्रदेश के कानपुर में गैंग रेप के बाद चचेरी बहन के साथ आत्महत्या करने वाली नाबालिग लड़की के पिता ने भी बुधवार आत्महत्या कर ली। हफ्ते भर पहले आत्महत्या करने वाली लड़कियाँ चचेरी बहनें थीं। ख़बर है कि पिता को दबंगों की ओर से समझौता करने के लिए लगातार धमकी दी जा रही थी जिससे परेशान होकर उन्होंने जान दे दी। दोनों लड़कियाँ घाटमपुर के ईंट भट्ठे पर काम करती थीं जहाँ ठेकेदार के बेटे और भांजे ने उनका रेप किया था। इता ही नहीं, उन्होंने दुष्कर्म की फोटो खींची थी और वीडियो भी बनाया था। पुलिस ने इस मामले में तीन मुल्ज़िमों को गिरफ़्तार किया था।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार पीड़ित लड़कियाँ अपने परिवार के साथ घाटमपुर ईंट भट्टे में मज़दूरी करती थीं। फरवरी महीने में भट्ठे के ठेकेदार रामस्वरूप के बेटे रज्जू व भांजे संजू ने दोनों नाबालिग लड़कियों को शराब पिलाई और उसके बाद उनका बलात्कार किया। इस दौरान उन्होंने दुष्कर्म का फोटो खींचा और वीडियो भी बनाया। आहत किशोरियों ने 28 फरवरी को ईंट–भट्ठे के पास ही एक पेड़ पर फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद हंगामा मचा ो घाटमपुर पुलिस ने आनन–फानन में आरोपित रामस्वरूप, रज्जू व संजू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामला दर्ज होने के बाद से ही आरोपितों का परिवार पीड़ित पिता पर केस वापस लेने और सुलह के लिए दबाव बना रहा था। आखिरकार पिता ने भी 06 मार्च को आत्महत्या कर ली। भट्ठा संचालक का परिवार इलाक़े में दबंग के तौर पर देखा जाता है। इलाक़े में उसका अच्छा ख़ासा प्रभाव है। इसी का फ़ायदा उठाकर भट्ठा संचालक मामले को दबाना चाहता था।
यूपी पुलिस पर लापरवाही का आरोप
इस घटना को लेकर पुलिस–प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लग रहा है। अभियुक्तों की गिरफ़्तारी में देरी से लेकर पीड़ित परिवार की सुरक्षा न करने तक को लेकर पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं। उधर, पुलिस प्रशासन ने इस पूरे मामले से ही पल्ला झाड़ लिया है। घाटमपुर थाना प्रभारी पी.के सिंह ने बताया, “मुख्य आरोपितों के पकड़े जाने व जेल भेजे जाने के बाद परिजनों ने धमकी मिलने जैसी कोई बात न कही और न ही किसी तरह की सुरक्षा की मांग की।” जबकि गाँव के लोगों का कहना है कि पुलिस के लापरवाह रवैए के कारण ही पीड़ित पिता ने ये आत्मघाती कदम उठाया। पुलिस ने अभियुक्तों और पीड़ितों के एक ही जाति के होने की वजह से भी ढिलाई बरती।
महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध का गढ़ बनता उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश सरकार अपराध कम होने का दावा करती है लेकिन हक़ीक़त ये है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो) के आँकड़ों के अनुसार महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में 28 राज्यों में उत्तर प्रदेश नंबर वन पर है। 2022 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के 65,743 मामले दर्ज हुए। हत्या के बाद बलात्कार के मामलों में भी उत्तर प्रदेश टॉप पर है।
योगी सरकार पर हमलावर विपक्ष
महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराध और चरमरायी क़ानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर हमलावर है। कानपुर की घटना पर ट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने लिखा–
“नरेंद्र मोदी की डबल इंजन सरकारों में हो रहे ‘डबल अन्याय’ को इन दो घटनाओं से समझिए!
UP में दो बहनों ने अपने साथ हुए दुष्कर्म के बाद फांसी लगा ली, अब न्याय न मिलने और मुकदमा वापस लेने के दबाव पर उनके पिता को भी फांसी लगानी पड़ी।
MP में एक महिला की इज़्ज़त सरे बाज़ार तार-तार हुई, जब गरीब पति ने न्याय की गुहार लगाई, तो सुनवाई न होने से निराश होकर वह अपने दोनों बच्चों के साथ फांसी पर झूल गया।
डबल इंजन सरकार में न्याय मांगना गुनाह है।
मित्र मीडिया द्वारा बड़ी मेहनत से गढ़ी गई झूठी छवि की रक्षा के लिए पीड़ित ही नहीं बल्कि उनके परिवारों तक से दुश्मन जैसा व्यवहार भाजपा शासित राज्यों में परंपरा बन चुकी है।
भाजपा राज में हाथरस से लेकर उन्नाव और मंदसौर से लेकर पौड़ी तक महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचार के बाद उनके परिवारों को न्याय के लिए तरसाया गया।
इस भयंकर अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाइए, वरना आज नहीं तो कल इस अत्याचार की आग आप तक भी पहुंचेगी।
राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी और चंद्रशेखर जैसे विपक्षी नेताओं ने योगी सरकार को जमकर घेरा। हैरानी की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के कई नेता पश्चिम बंगाल के संदेश खाली में महिलाओं के साथ बलात्कार के आरोप को लेकर काफ़ी मुखर हैं लेकिन जब बात बीजेपी शासित राज्यों की आती है तो सब चुप्पी साध जाते हैं।