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किसान महापंचायत में MSP लागू न करने वाली बीजेपी को सज़ा देने का आह्वान

दिल्ली के रामलीला मैदान में आज हुई किसान महापंचायत में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने का ऐलान हुआ। स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के आधार पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य न दिये जाने को लेकर किसान मोदी सरकार से काफी नाराज़ हैं। इस महापंचायत का आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा (SKM)  ने किया था जिसमें देश के लगभग चार सौ किसान संगठन शामिल हैं। इस संगठन के बैनर तले ही चले लगभग साल भर के आंदोलन के बाद मोदी सरकार को कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी थी। सरकार की तमाम पाबंदियों और परेशानी खड़ी करने की कोशिशों के बावजूद महापंचायत में भारी भीड़ उमड़ी। तय हुआ कि 23 मार्च को भगत सिंह की शहादत दिवस पर देश भर में ‘लोकतंत्र बचाओ’ दिवस मनाया जायेगा।

दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगम प्रशासन ने किसानों को इस आधार पर महापंचायत की अनुमति दी थी कि किसान बिना ट्रैक्टर और हथियार के दिल्ली के रामलीला मैदान आयेंगे।किसानों ने इस शर्त को पूरा किया लेकिन उन्हें ये देखकर हैरानी हुई कि रामलीला मैदान के एक हिस्से में सीवर का गंदा पानी भर दिया गया था।

 

रामलीला मैदान में सीवर का पानी

पूर्व गवर्नर और किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार के सख़्त आलोचक सत्यपाल मालिक ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा है कि – दिल्ली में आज होने वाली किसान महापंचायत को रोकने  के लिए लिए किसान विरोधी मोदी सरकार ने सीवर का गंदा पानी रामलीला मैदान में भर दिया है।  

सत्यपाल मलिक ने आगे लिखा कि “किसान इस देश की रीढ़ है और मोदी सरकार किसानों के ऊपर बेवज़ह जो इतना अत्याचार कर रही है, बहुत ही निंदनीय कार्य है। साथ ही उन्होंने ये बी लिखा कि ‘आने वाले आम लोक सभा चुनावों में इस किसान – मज़दूर विरोधी  मोदी सरकार को उखाड़ फेंकों।’

इसी बीच आज महाराष्ट्र के नासिक में  कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘जब तक कोई व्यक्ति किसान की मेहनत की इज्ज़त नहीं करता तब तक वह किसान हितेषी नहीं हो सकता।’ उन्होंने कहा कि अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आया तो वह किसानों की आवाज़ आवाज़ बनेगा। गौरतलब है कि कांग्रेस ने सरकार बनने पर किसानों की एमएसपी की माँग पूरा करने की गारंटी दी है। 

 

क्या बोले नेता

महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस बैठक के जरिए सरकार को मैसेज दिया गया है कि हम सभी एक हैं। यह आंदोलन अभी ख़त्म नहीं हुआ है। सरकार को बातचीत के जरिये हमारी मांगों को लेकर रास्ता निकालना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार पूंजीपतियों की गैंग में शामिल है। 

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि “एमएसपी मिलने से किसान अरबपति नहीं बन जाएंगे। हमारे पास सरकार से लड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है। जब लड़ते हैं तो सरकार आंसू गैस के गोले चलाती है और वीसा पासपोर्ट रद्द किया जा रहा है। सरकार अपने में सुधार नहीं करती तो उसका ख़ामियाजा भुगतना पडेगा।”

किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि सरकार ने किसानों को बॉर्डर पर बैरिकेडिंग और कीलें लगाकर आने से रोका, हम उन्हें गाँव में आने से रोकेंगे और सबक सिखायेंगे।  

इस किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई हैं। इसी  बीच किसानों ने केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की है। महापंचायत ने निर्णय किया है की देश के सभी गाँव 23 मार्च को ‘लोकतंत्र बचाओ’ दिवस मनाएंगे।

 

क्या है किसानों की मांगे ?

किसानों की मांग है कि 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी घोषित की जाये। एमएसपी को क़ानूनी दर्जा दिया जाये, आंदोलन के दौरान  किसानों के ख़िलाफ़ दायर मुक़द्दमों को वापस लिय्या जाये, लखीमपुर खीरी मामलें में दोषियों को सज़ा दी जाए, किसान और खेत मज़दूरों को पेंशन दी जाए, किसानों को प्रदूषण क़ानूनों से बाहर रखा जाए और विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।   

 

संकल्प पत्र

महापंचायत में सर्वसम्मति से एक संकल्प पत्र पारित किया गया जिसमें देश भर के किसानों का आह्वान किया गया कि:

1. भाजपा के विरोध में देशव्यापी जन प्रतिरोध खड़ा करो: भाजपा की पोल खोलो, विरोध करो और उसे सजा दो

– सभी फसलों की सी-2+50% एमएसपी पर गारंटीकृत खरीद के संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा के साथ दिनांक 9.12.2021 को हुए समझौते को लागू नहीं करने के खिलाफ,

— वर्ष 2014-2022 के बीच 1,00,474 किसानों द्वारा आत्महत्या करने के बावजूद किसानों के लिए व्यापक ऋण माफी योजना लागू नहीं करने के खिलाफ,

— बिजली क्षेत्र का तेजी से निजीकरण करने के खिलाफ,

— लखीमपुर खीरी में किसानों के हत्यारे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को बचाने के खिलाफ,

— किसान शुभकरण सिंह की हत्या और किसान आंदोलन पर राज्य-सत्ता के दमन के खिलाफ : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस्तीफा दो, घटना की न्यायिक जांच करो, आईपीसी की धारा 302 के तहत अमित शाह, एमएल खट्टर और अनिल विज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करो

— भारतीय गणतंत्र के लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और संघीय चरित्र पर किए जा रहे हमलों के खिलाफ

2. वर्तमान में किसानों और मजदूरों के चल रहे संघर्षों को आम जनता के संयुक्त आंदोलन में परिवर्तित करो :

— अपनी रोटी रोजी को कॉरपोरेट लूट से बचाने के लिए,

— देश के संविधान के लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष स्वरूप की रक्षा के लिए।

* एकताबन्द जन आन्दोलन के बैनर तले देश भर में भाजपा के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की अपील:

— जन संगठनों और वर्गीय संगठनों के साथ सलाह-मशविरा करके राज्य स्तर पर विरोध कार्रवाई की रूपरेखा तय की जाएगी।

3. धनबल और बाहुबल के खतरे के खिलाफ 23 मार्च 2024 को देश के सभी गांवों में ‘लोकतंत्र बचाओ’ दिवस मनाओ : भाजपा द्वारा लखीमपुर खीरी में किसानों के कथित हत्यारे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को खीरी सीट से उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध करो और भाजपा राज में पनपे कॉरपोरेट-आपराधिक-भ्रष्ट गठजोड़ का पर्दाफाश करो।

 

किसानों का यह तेवर बता रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए खेती-किसानी का मुद्दा मुसीबत बन सकता है।

 

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