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टेस्ट में फेल हुई दवा बनाने वाली कंपनियों ने भर दिया बीजेपी का ख़ज़ाना

चुनाव आयोग द्वारा जो चुनावी बॉन्ड का डेटा जारी किया गया है उसमें कई चौकानें वाली ख़बरे लगातार बहार आ रही हैं। बॉन्ड डेटा के अध्ययन से यह पता चला है कि 23 फ़ार्मा कंपनियों और एक सुपर स्पेशलिस्ट हस्पताल ने कुल 762 करोड़ रुपयों का चंदा चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक  दलों को दिया। जिनमें से कुछ ऐसी फ़ार्मा कंपनियाँ थी जिनकी दवाएं टेस्ट के दौरान फ़ेल  हो गयी थीं। 

 

वे फ़र्में जिनकी दवा हुयी थी टेस्ट में फ़ेल  

इंटास फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड कंपनी का मुख्यालय गुजरात में हैं। जुलाई 2020 में इस कंपनी द्वारा बनायी गयी दवा एनाप्रिल का ड्रग टेस्ट फ़ेल  हो गया था। चुनावी बॉन्ड के डेटा के आधार पर यह सामने आया कि इस कंपनी ने 10 अक्टूबर को 20 करोड़ रुपयों के चुनावी बॉन्ड ख़रीदे थे। यह सभी रूपये बॉन्ड के ज़रिये भारतीय जनता पार्टी को दिये गये थे। आपको बता दे कि एनाप्रिल दवाई का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप और हार्ट फेलियर इलाज़ के दौरान किया जाता है। 

सिप्ला लिमिटेड कंपनी मुंबई बेस आधारित है। साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की बनायी गयी दवाओं को टेस्ट में 7 बार फ़ेल  किया गया था। इन दवाओं में आरसी कफ़ सिरप, लिपवास टैबलेट, ओन्डेनसेट्रॉन और सिपरेमी इंजेक्शन शामिल थी. इन दवाओं का इस्तेमाल कोविड, हृदय रोगों, मतली या उल्टी, इत्यादि के रूप में किया जाता है। इस कंपनी ने 10 जुलाई 2019 से 10 नवंबर 2022 के बीच 39.2 करोड़ रुपयों के चुनावी बॉन्ड ख़रीदे थे। इनमें से 37 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को गये थे और 2.2 के बॉन्ड कांग्रेस को गये थे। 

ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड  कंपनी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है। साल 2022 और 2023 के बीच इस कंपनी के 6 बार ड्रग टेस्ट फ़ेल हुये थे। जिन दवाओं में शामिल थीं टेल्मा एएम, टेल्मा एच और ज़िटेन। जिनका इस्तेमाल उच्च रक्तचाप और डायबिटीज़ के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 11 नवंबर 2022 को 9.75 करोड़ के चुनावी बॉन्ड ख़रीदे। जो कि सभी भाजपा को गये थे। 

टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड  इस कंपनी का मुख्यालय गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है। साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की 3 दवाएं ड्रग टेस्ट में फ़ेल हुयी थी। यह दवाएं थी डेप्लेट ए 150, निकोरन आई वी 2 और लोपामाइड। इनका इस्तेमाल दिल की बीमारियों और दस्त के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 7 मई 2019 और 10 जनवरी 2024 के बीच 77.5 करोड़ रुपयों के चुनावी बॉन्ड ख़रीदे। जिनमें से 61 करोड़ रूपये भारतीय जनता पार्टी को गये। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 7 करोड़ रूपये और कांग्रेस को 5 करोड़ रूपये दिये गये। 

आईपीसीए लैबोरेट्रीज लिमिटेड कंपनी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है। अक्टूबर 2018 में इसके द्वारा निर्मित की गयी दवा लारियागो टैबलेट का ड्रग टेस्ट फ़ेल हुआ था। इसका इस्तेमाल मलेरिया की रोकथाम और उपचार के लिए किया जाता है। 10 नवंबर 2022 और 5 अक्टूबर 2023 के बीच इस कंपनी ने 13.5 करोड़ रुपयों के चुनावी बॉन्ड  ख़रीदे थे। जिसमें से 10 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को और 3.5 करोड़ के बॉन्ड सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को दिये गये। 

सन फ़ार्मा लैबोरेट्रीज लिमिटेड कंपनी का मुख्यालय मुंबई में है। साल 2022 और 2023 के बीच 6 बार इनकी दवाओं का ड्रग टेस्ट फ़ेल हुआ है। इन दवाओं में शामिल हैं कार्डीवास, लैटोप्रोस्ट आई ड्रॉप्स, और फ़्लेक्सुरा डी। इनका इस्तेमाल उच्च रक्तचाप और हृदय से संबंधित बीमारियों के लिए किया जाता है।  इस कंपनी ने 15 अप्रैल 2019 और 8 मई 2019 को 31.5 करोड़ रुपयों के चुनावी बॉन्ड ख़रीदे। ये सारे बॉन्ड कंपनी ने बीजेपी को दिये। 

हेटेरो ड्रग्स लिमिटेड और हेटेरो लैब्स लिमिटेड कंपनी का मुख्यालय हैदराबाद में है। साल 2018 और 2021 के बीच बनायी गयी दवाओं के  7 बार ड्रग टेस्ट में फ़ेल हुये। इन दवाओं में रेमडेसिविर इंजेक्शन, मेटफॉरमिन, कोविफोर शामिल हैं। इन दवाओं का इस्तेमाल कोविड और मधुमेह इलाज़ के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 7 अप्रैल 2022 और 11 जुलाई 2023 को 30 करोड़ रुपयों के चुनावी  बॉन्ड ख़रीदे। जिनमें से 20 करोड़ के बॉन्ड बीआरएस पार्टी को और 5 करोड़ के बॉन्ड भाजपा को गये। 

ज़ाइडस हेल्थकेयर लिमिटेड कंपनी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है। साल 2021 में इनके द्वारा बनायी जानें वाली दवा रेमडेसिविर में गुणवत्ता की कमी निकल कर आयी थी। इस दवा का इस्तेमाल कोविड के लिये किया जाता है। 10 अक्टूबर 2022 और 10 जुलाई 2023 के बीच इस कंपनी ने 29 करोड़ रुपयों के बॉन्ड ख़रीदे। इनमें से 18 करोड़ बीजेपी को गये, 8 करोड़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा और 3 करोड़ कांग्रेस को दिये गये। 

इन फ़ार्मा कंपनियों का ड्रग टेस्ट में इस तरह फ़ेल हो जाना और सरकारों को चुनावी बॉन्ड के ज़रिये करोड़ों रुपयों का दान करना, इतनी सीधी बात दिखाई  नहीं देती है। यह एक चिंता का विषय है जिसपर बहस होनी चाहिये ताकि भविष्य में स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ ना हो सके।  

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