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जम्मू-कश्मीर से सेना और अफस्पा हटाने पर विचार- अमित शाह   

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (अफस्पा) हटाने का विचार कर रही है और सितंबर तक वहाँ विधानसभा चुनाव भी कराये जा सकते हैं। अमित शाह ने एक  मीडिया साक्षात्कार के दौरान कहा केंद्र सरकार कश्मीर से अर्धसैनिक बल को वापस बुलाने पर विचार कर रही है। सरकार कश्मीर की कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की योजना बना रही है। शाह ने कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न अंग है। सरकार कश्मीर के युवाओं से बात करेगी न की उन संगठनों से जिनकी जड़े पाकिस्तान से जुड़ी हैं।

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं। तब राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करके दोनों को केंद्र शासित बना दिया गया था। यह पहली बार है जब किसी गृहमंत्री ने जम्मू-कश्मीर से सेना को वापस बुलाने की बात की है।
  

पीओके भारत का अभिन्न अंग  

इस इंटरव्यू में अमित शाह ने फिर कहा कि पूरी संसद का मानना ​​है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा पीओके के हिंदू और मुसलमान, दोनों ही भारतीय है। जिस जमीन पर पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा कर रखा है वह भरत की है। इस जमीन को हासिल करना हर भारतीय और कश्मीरी का लक्ष्य है।

 

विपक्ष को आतंकवाद पर बोलने का कोई अधिकार नहीं

इस दौरान अमित शाह ने विपक्षी नेता फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर भी निशाना साधा। शाह ने कहा कि दोनों नेताओं को आतंकवाद पर बोलने का अधिकार नहीं है। जितनी फर्जी मुठभेड़ें उनके समय हुईं, इतनी कभी नहीं  हुईं हैं। पिछले पांच वर्षों में एक भी फर्जी मुठभेड़ नहीं हुई। बल्कि फर्जी मुठभेड़ों में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। हम कश्मीर के युवाओं के साथ बातचीत करेंगे न कि उन संगठनों के साथ जिसकी जड़ें पाकिस्तान में हैं।

शाह ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए 12 संगठनों पर प्रतिबंध लगाया है। आतंकवाद  के वित्तपोषण को रोकने के लिए 22 से अधिक मामले दर्ज किए गये हैं और 150 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गयी है। उन्होंने कहा कि 90 संपत्तियां अटैच की गयी हैं और 134 बैंक खाते फ्रीज कर दिए गये हैं। 


कश्मीर कब होंगे विधानसभा चुनाव 

अमित शाह ने कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। शाह ने कहा यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा। 

 

क्या है अफस्पा 

देश के जिन इलाकों में तनाव रहता है या जो इलाके आतंकवाद से प्रभावित होते है, उन इलाकों में यह कानून लागू किया जाता है। अफस्पा को अशांत इलाकों में लागू किया जाता है। यह कानून आवश्यकता होने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां देता है। 11 सितंबर 1958 को ये कानून बना था। इसे सबसे पहले पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू किया गया था। 90 के दशक में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी ये कानून लागू कर दिया गया। पूर्वोत्तर में 70 फीसदी से अधिक इलाकों में यह कानून हटाया जा चुका है लेकिन जम्मू-कश्मीर में यह अभी भी लागू है। इस कानून के तहत सुरक्षाबल किसी के भी घर में किसी भी समय बिना वारंट तलाशी ले सकते हैं। अगर सुरक्षाबलों को लगता है कि उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे है, तो वो उसे ध्वस्त भी कर सकते हैं। ऐसा करने पर सुरक्षाबलों के जवानों पर कोई कार्रवाई या मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता है जब तक केंद्र सरकार उसकी मंजूरी न दे।  

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