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इलेक्टोरल बॉन्ड से बीजेपी को मिले लगभग सात हज़ार करोड़, एक ही दिन में 200 करोड़

लोकसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही राजनीतिक माहौल गरमा गया है।  इसी बीच चुनाव आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक से मिले चुनावी बॉन्ड के डेटा  जारी कर दिया है। जिससे यह साफ़ तौर पर नज़र आ रहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए सबसे ज़्यादा चंदा बीजेपी को मिला है। डेटा के मुताबिक चुनावी बॉन्ड का 47 प्रतिशत चंदा  सिर्फ बीजेपी को मिला है। एक अनुमान के अनुसार यह चंदा 7 हज़ार करोड़ तक का है। डेटा एनेलिसिस से साफ़ है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का लेन-देन काफ़ी संदिग्ध है।

 

डेटा के अनुसार अप्रैल 2018 से 2023 के बीच बीजेपी को 8 बार एक-एक अरब रुपयों से ज़्यादा का चंदा चुनावी बॉन्ड के जरिए मिला है। बीजेपी को एक ही दिन में  200 करोड़ रुपयों से ज़्यादा का चंदा चुनावी बॉन्ड से मिला। कुल  8 मौकों पर बीजेपी को एक ही बार में 100 करोड़ रुपयों तक मिले। चुनावी बॉन्ड के आंकड़ों को अगर देखें तो बीजेपी के आस-पास कोई भी विपक्षी पार्टी नज़र नहीं आ रही है। 

 

आंखें खोलने वाला डाटा 

शनिवार को जारी किए गए डाटा को जब आरबीआई से मिले पहले वाले डाटा से मिलाया गया तो आँखें खोलने वाली कई जानकारियां सामने आई हैं। इसमें बीजेपी, कांग्रेस, डीएमके, एआईएडीएमके और एनसीपी ने बॉन्ड्स के जरिए मिले चुनावी चंदे का खुलासा किया है। इनके अलावा सभी राजनीतिक दलों ने भी चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे की जानकारी दी है। गौर करने वाली बात यह भी है कि राजनीतिक दल डीएमके, एआईएडीएमके, आप(AAP) और समाजवादी पार्टी ने प्रमुख तौर पर चंदा देने वालों के भी नाम बताए  हैं। अन्य राजनीतिक दलों जैसे कि सीपीआई (एम), सीपीआई, और बीसपा को चुनावी बॉन्ड के जरिए कोई चंदा मिला ही नहीं है। सीपीआई (एम) और  सीपीआई ने नैतिकता के आधार पर चंदा न मिलने की बात कही है।  

 

चुनाव आयोग ने जारी किया था डाटा 

राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे की जानकारी सीलबंद लिफ़ाफ़े में चुनाव आयोग को दिया गया था, जिसे आयोग ने अब सार्वजानिक कर दिया है। दलों द्वारा दिया गया यह डेटा 12 अप्रैल 2019 से पहले का बताया गया है जबकि इसके बाद के डेटा को चुनाव आयोग पिछले हफ़्ते ही जारी कर चुका है। आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को फरवरी 2024 में ही समाप्त कर दिया था। इसके बाद कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को आदेश दिया कि वह बॉन्ड से जुड़े सभी डेटा को चुनाव आयोग को दे दें। जिसके लिए बैंक ने 30 जून 2024 तक की मोहलत मांगी थी लेकिन कोर्ट ने और समय नहीं दिया था। जिसके बाद बैंक ने बॉन्ड के डेटा को चुनाव आयोग को सौंप दिया था, और फिर आयोग ने  डेटा को सार्वजनिक कर दिया था। 

जैसे ही चुनावी बॉन्ड से जुड़े चंदे को सार्वजनिक किया गया, पूरा विपक्ष बीजेपी से बॉन्ड से जुड़े चंदे को लेकर तरह – तरह के सवाल करने लगा। जिसका बीजेपी के पास कोई वाज़िब जवाब नहीं है।   

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