पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी.चिदंबरम ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड ने केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को गलत तरीके से फायदा पहुँचाया है इसने बीजेपी को दूसरे दलों के मुकाबले आगे कर दिया है। बीजेपी चुनाव प्रचार में ज़्यादा पैसा खर्च कर पायेगी। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जो जानकारियाँ सार्वजनिक हुई हैं, उससे उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ।
बीबीसी को दिये एक साक्षात्कार में पी. चिदंबरम ने कहा कि जिन्होंने बॉन्ड खरीदे हैं, उन सभी के सरकार के साथ नज़दीकी रिश्ते रहे हैं। खनन, फार्मा, कंस्ट्रक्शन और हाइड्रोइलेक्ट्रिक कंपनियों के साथ नज़दीकी रिश्ते रहे हैं। कई बार कुछ मामलों में ऐसे रिश्ते राज्य सरकारों के साथ भी रहते हैं। चिदंबरम ने पूछा कि सरकार ने ऐसी कपट भरी योजना बनाई ही क्यों जिसमें राजनीतिक चंदा किसे दिया जा रहा है, यह ज़ाहिर ही नहीं किया जाता। सरकार को तो ऐसी योजना बनानी चाहिए थी, जिसमें कोई भी राजनीतिक दलों को चेक, ड्राफ्ट और पे ऑर्डर से भुगतान कर सके।
चिदंबरम कहते है कि राजनीतिक दलों और चंदा देने वालो को अपनी-अपनी बैलेंस शीट में इसे ज़ाहिर करना चाहिए था। पहले कॉर्पोरेट घराने राजनीतिक दलों को खुले और पारदर्शी तरीके से चंदा दे रहे थे। लेकिन वे अपने मुनाफ़े का कुछ निश्चित प्रतिशत ही चंदा दे रहे थे। घाटा उठाने वाली कंपनियां चंदा नहीं देती थीं। हमें वापस वही पुराना तरीका अपनाना चाहिए जिससे खुले और पारदर्शी तरीके से कोई भी चंदा दे पाए।
एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने इस बात से सहमति जताई कि इलेक्टोरल बॉन्ड ने बीजेपी को आने वाले लोकसभा चुनाव में ग़लत तरीके से फ़ायदे में पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बांड का 57 प्रतिशत हिस्सा बीजेपी को मिला है। अगर आप इलेक्टोरल बॉन्ड के देने और सरकार के कुछ फैसलों को मिलाते है, तो कोई भी अनुमान लगा सकता है कि यह सब मिलीभगत है।
बीबीसी ने पूछा कि क्या इलेक्टोरल बॉन्ड की वज़ह से बीजेपी फ़ायदे में है ? इस पर चिदंबरम सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 6 सालों में उन्होंने भारी संसाधन जमा कर लिया है। उन्होंने बॉन्ड की नीति ही अपने लाभ के हिसाब से बनाई थी। चुनावी वित्तीय प्रबंधन में वे दूसरों से बेहतर हैं।
भारतीय स्टेट बैंक की भूमिका पर चिदंबरम
इलेक्टोरल बॉन्ड का विवरण देने में हीलाहवाली करने वाले स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की भूमिका को चिन्हिंत करते हुए चिदंबरम ने कहा कि इसे ही संस्थानों पर कब्ज़ा करना कहते हैं। बैंक को सरकार के इशारे पर काम करने की क्या जरुरत थी? बैंक चाहे तो सभी आंकड़े 24 घंटों में सार्वजानिक कर सकता है। बैंक को आंकड़े यूनिक नंबर के साथ जारी करने चाहिए थे ताकि हम सब आसानी से लेनदेन समझ पाते।
उन्होंने कहा कि देश में सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी कोई अथॉरिटी है क्या? उन्होंने एसबीआई को सलाह दी कि वह हर बॉन्ड का अल्फा न्यूमेरिक यूनिक नंबर जारी कर दे। इससे पीछे ना हटें, नहीं तो उसका और मज़ाक बनेगा और उसे आलोचनाओं का सामना करना पडेगा।
चिदंबरम से पूछा गया कि उनकी नज़र में इलेक्टोरल बॉन्ड प्रकरण के क्या सबक हैं? तो जवाब देते हुए चिदंबरम ने कहा कि हमें उम्मीदवार के ख़र्च सीमा को भी बढ़ाना होगा। हमें राज्य (सरकार) की तरफ़ से फंडिंग के बारे में भी सोचना होगा।