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वित्तमंत्रालय के दबाव पर SBI ने बीजेपी के पक्ष में कैश किये करोड़ों के ‘एक्सपायर्ड’ बॉन्ड

आज़ाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला कहे जाने वाले चुनावी बॉन्ड मामले में रोज़ाना नये-नये ख़ुलासे हो रहे हैं। चुनाव आयोग द्वारा जारी डेटा से पता चला है कि 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीमा समाप्त होने के बावजूद बीजेपी ने करोड़ों के बॉन्ड भुनाये थे। खोजी पत्रकारों की संस्था ‘रिपोर्टर्स कलेक्टिव’ ने अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने इसकी अनुमति देने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को पत्र लिखा था। तब वित्त मंत्रालय बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली सम्भाल रहे थे।

रिपोर्टर कलेक्टिव ने 2019 में भी इस प्रकार की रिपोर्टों को प्रकाशित की थी जिसमें कहा गया था कि एसबीआई ने 15 दिनों की अवधि बीत जानें के बाद भी एक अज्ञात राजनितिक दल को 10 करोड़ रुपयों के चुनावी बॉन्ड इनकैश करने की अनुमति दी। अब पता चलता है कि यह बॉन्ड भाजपा ने भुनाये थे।
 


क्या हैं चुनावी बॉन्ड इनकैश करने के नियम ?

नियमों के अनुसार, किसी चुनावी बॉन्ड  को भुनाने के लिए कुल 15 दिनों का समय होता है। इन 15 दिनों में गैर-कार्य दिवस भी जोड़े जाते हैं।इन 15 दिनों की शुरुआत जमा कराए गए बॉन्ड के दिन से शुरू होती हैं। अगर कोई बॉन्ड इनकैश नहीं होते हैं तो नियम के अनुसार एक्सपायर्ड बॉन्ड की राशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में जमा किये जाने का प्रावधान है।

 

भाजपा ने चुनावी बॉन्ड कैसे इनकैश करवाए ?

डेटा के मुताबिक दिल्ली की एसबीआई शाखा में कुल 20 करोड़ के बॉन्ड इनकैश कराये गए थे। आधे बॉन्ड्स को 3 मई 2018 को ख़रीदा गया और बाकी 5 मई 2018 को ख़रीदे गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि बॉन्ड धारकों ने बैंक से अनुरोध किया कि वह कैलेंडर के 15 दिनों की अवधि के नियमों को बदले क्योंकि बॉन्ड 15 दिन के कार्य दिवस पर जमा किए जा रहे हैं।इसके बाद बैंक ने वित्त मंत्रालय को इसकी जानकारी दी, जिसपर मंत्रालय ने बॉन्ड को इनकैश करने की इजाज़त दे दी।   

मंत्रालय ने यह कहते हुए अनुमति दी थी कि नियमों में अस्पष्टता है। लेकिन यह भी कहा कि आगे से  बॉन्ड को 15 दिनों  में ही इनकैश किया जायेगा। ‘यानी भविष्य में ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होगी।’ इन 15 दिनों में गैर – अवकाश दिवस भी शामिल हैं।इसके बाद कई  एक्सपायर्ड बॉन्ड्स को प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कराया गया। 

ध्यान देने वाली बात यह है कि भाजपा को बॉन्ड भी नियमों के विरुद्ध ही दिये गये थे। नियम के अनुसार बॉन्ड बिक्री के लिए जनवरी,अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10 दिनों के लिए विंडों खोलना था। लेकिन कर्नाटक चुनाव से पहले बांड बिक्री के लिए ‘विशेष’ विंडों खोलने का आदेश दिया गया था। 

 

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