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चुनावी बॉन्ड वसूली का ज़रिया, मोदी ने सरकारी तंत्र को संगठित भ्रष्टाचार में झोंका- राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। शुक्रवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस में राहुल गाँधी ने कहा कि यह जबरन वसूली का दुनिया का सबसे बड़ा मामला है। बीजेपी ने इसके ज़रिये वसूली से प्राप्त धन का इस्तेमाल शिवसेना, राकांपा और अन्य राजनीतिक दलों को तोड़ने और सरकारों को गिराने के लिए किया। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक भारतीय चुनाव आयोग ने 14 मार्च की शाम स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से प्राप्त चुनावी बॉन्ड दानकर्ताओं की लिस्ट अपनी वेबसाइट पर जारी की थी। इस लिस्ट में कई कंपनी के नाम सार्वजनिक हुए थे जिन्होंने करोड़ों के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।इनमें कुछ कंपनियों पर ईडी और सीबीआई के छापे भी पड़े थे।

राहुल गांधी ने कहा कि कुछ साल पहले प्रधानमंत्री ने काले धन को साफ करने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना तैयार की थी। यह भारत  के सबसे बड़े उद्योगपतियो को डराकर पैसा वसूलने का तरीका था। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली गिरोह है।उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस मामले की जांच होगी। 

राहुल गांधी ने पूछा कि बीजेपी ने राज्यों में जो सरकारें गिरायीं, उसके लिए पैसा कहां से आया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने पूरे राजनीतिक प्रणाली को अपने कब्जे में  कर रखा है। जांच एजेंसी अब जांच नहीं, वसूली कर रही हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस को साफसुथरी पार्टी  बताते हुए दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को महाराष्ट्र में बंपर जीत हासिल होगी।

जब राहुल गांधी से कांग्रेस को इलेक्टोरल बॉन्ड मिलने और कांग्रेस शासित राज्यों में चंदा मिलने  के बारे में सवाल सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की ओर से संचालित किसी भी  सरकार ने राजमार्ग और रक्षा अनुबंध को नियंत्रित नहीं किया। कांग्रेस शासित राज्यों में दिए गए ठेकों और इलेक्टोरल बॉन्ड से हुई फंडिंग के  बीच कोई संबंध नहीं है। पहले सीबीआई, ईडी मामले दर्ज करती है और फिर उद्योगपति भाजपा को पैसा देते है। 

 

राहुल  गांधी ने  अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर भी इलेक्टोरल बॉन्ड बारे में लिखा कि,       

 

इलेक्टोरल बॉन्ड के नाम पर ‘हफ्ता वसूली सरकार’ ने दुनिया का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार किया है।

कंपनियों से एक्सटोर्शन का यह मॉडल खुद नरेंद्र मोदी का तैयार किया हुआ था।

इस ‘आपराधिक खेल’ के नियम स्पष्ट थे:

– एक तरफ कॉन्ट्रैक्ट दिया, दूसरी तरफ से काट लिया,

– एक तरफ से रेड  की, दूसरी तरफ चंदा लिया

ED, IT, CBI जैसी जांच एजेंसियां नरेंद्र मोदी की ‘वसूली एजेंट’ बन कर काम कर रही हैं। 

जो कभी देश के संस्थान हुआ करते थे वो अब भाजपा के हथियार के रूप में काम कर रहे हैं।  भारतीय मीडिया इस स्थिति में नहीं है कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड की सच्चाई जनता को बता सके। इसलिए आपको खुद ही भाजपा का असली चेहरा पहचानना होगा। सरकारी तंत्र को पूरी तरह संगठित भ्रष्टाचार में झोंक देने वाले नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं।

 

ज़ाहिर है, इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में कांग्रेस को एक बड़ा चुनावी मुद्दा मिल गया है। देखना है कि पार्टी इस मुद्दे को ज़मीनी स्तर पर लोगों को समझाने में कितना कामयाब हो पाती है। खासतौर पर जब मीडिया पूरी तरह सरकार के गुन गाने में जुटा हुआ है।

  

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