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हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत 126वें स्थान पर, पड़ोसियों की तुलना में नाख़ुश हैं लोग

भारत लगातार ऐसे देशों की सूची में बना हुआ है जहाँ लोग ख़ुश नहीं हैं। बुधवार को जारी ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत का स्थान 143 देशों में से 126वां रहा। जबकि पिछले वर्ष भारत का स्थान 136 देशों में से 125वां था। इस इंडेक्स में लगातार 7वीं बार फ़िनलैंड पहले स्थान पर रहा।इसके बाद डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन का स्थान आता है। गौर करने की बात यह है कि भारत से नीचे लीबिया, इराक़, फलस्तीन और नाइजीरिया जैसे देश आते हैं।इस इंडेक्स में पाकिस्तान 108वें स्थान पर है। जबकि अफ़ग़ानिस्तान आख़िरी स्थान पर है। 

यह रिपोर्ट द गैलप, द ऑक्सफ़ोर्ड वेलबीइंग  रिसर्च सेंटर, यू एन सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोल्युशन नेटवर्क और डबल्यूएचआर एडिटोरियल बोर्ड की साझेदारी से बनायी जाती है। इस इंडेक्स का पहला प्रकाशन साल 2012 में किया गया था।यह रिपोर्ट  सामाजिक सहयोग, आय, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण जैसे कारकों के आधार पर देशों की रैंकिंग तैयार की जाती है। 

हर साल 20 मार्च को  मनाये जाने वाले विश्व ख़ुशहाली दिवस के मौक़े पर यह रिपोर्ट जारी की जाती है। अमेरिका पहली बार इस इंडेक्स में टॉप 20 देशों की सूची से बाहर रहा है। इस बार अमेरिका का स्थान 23वां रहा, जबकि पिछले साल इसका स्थान 16वां था। रिपोर्ट में इसका कारण 25 वर्ष से कम उम्र के लोगों का  नाख़ुश होना है। हमास के साथ पाँच महीनों से जारी युद्ध के बाद भी इजराइल का स्थान 5वां रहा है।

 

भारत के पड़ोसी देशों का स्थान 

इस इंडेक्स में अफ़ग़ानिस्तान आख़िरी स्थान पर है। जबकि पाकिस्तान का स्थान 108वां है, जोकि भारत के मुक़ाबले बेहतर स्थान है।चीन 60वें, नेपाल 93वें, म्यांमार 118वें, श्रीलंका 128वें, बांग्लादेश 129वें स्थान पर हैं। जबकि भूटान का स्थान 95वां रहा है।   

 

कैसा रहा आयु वर्ग में ख़ुशहाली स्तर 

इस इंडेक्स में विभिन्न आयु वर्गों के बीच के संतुष्टि स्तर को भी बताया गया है । लिथुआनिया में 30 वर्ष से कम उम्र के लोग सबसे ज़्यादा खुश हैं। जबकि डेनमार्क में 60 साल से अधिक के लोग सबसे ज़्यादा खुश हैं। उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में बच्चों की ख़ुशहाली का स्तर कम हो रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में युवा अधिक खुश है लेकिन निम्न मध्यवर्ग लोग कम खुश हैं। भारत में  वृद्ध पुरुष, वृद्ध महिलाओं की अपेक्षा अधिक ख़ुश हैं। लेकिन सभी मानकों को ध्यान में रखा जाये तो  वृद्ध महिलाएं, वृद्ध पुरुष की अपेक्षा अधिक संतुष्ट हैं।भारत में  शिक्षा और जाति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। औपचारिक शिक्षा के बिना अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की तुलना में माध्यमिक या उच्च शिक्षा वाले वृद्ध वयस्कों और उच्च सामाजिक जातियों के लोगों में अधिक ख़ुशहाली देखी गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के  हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम खुश हैं। इसके साथ ही इंडेक्स के अनुसार उम्र बढ़ने के साथ-साथ  लिंग अंतर भी बढ़ता जा रहा है। 

 

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