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इलेक्टोरल बॉन्ड की लिस्ट सार्वजनिक: जाँच से घिरी कंपनियों ने बीजेपी को दिया अरबों का चंदा!

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक भारतीय चुनाव आयोग ने 14 मार्च की शाम स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से प्राप्त चुनावी बॉन्ड दानकर्ताओं की लिस्ट अपनी वेबसाइट पर जारी कर दी। इस लिस्ट से कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं।लिस्ट के अनुसार सबसे अधिक राजनीतिक बॉन्ड फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज  ने खरीदें हैं। इस कंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग का गंभीर आरोप  था। उधर, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि कुल 22,271 बॉन्ड खरीदें गये थे, लेकिन अभी 18,871 की ही जानकारी सामने आयी है। अप्रैल 2019 के पहले खरीदे गये बॉन्ड की जानकारी बिलकुल नहीं दी गयी है। इलेक्टोरल बांड की योजना को पिछले दिनो सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था।

 


सबसे बड़े सवाल क्या हैं ?  

भारतीय चुनाव आयोग ने बॉन्ड खरीदनें वालों की लिस्ट तो जारी कर दी है, लेकिन कुछ सवाल हैं जो अब भी छूटे हुए है जिनका जवाब मिलना जरूरी है। जैसे,

-बॉन्ड खरीदनें वाली कंपनियों ने कितना पैसा किस पार्टी को दिया? 

-एसबीआई ने वह यूनिक कोड क्यों नहीं दिया जिससे पता चले कि किसने किसको चंदा दिया?

-इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित योजना को 2018 में ही लागू कर दिया गया था तो डेटा अप्रैल 2019  क्यों दिया गया ?

 


अधिक बॉन्ड खरीदनें वाली कंपनियों से जुड़े विवाद 

न्यूज़लॉन्ड्री के मुताबिक़ शीर्ष  दानकर्ताओं ने 5830 करोड़ रूपये इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये दिये, जो राजनीतिक चंदे का 48 प्रतिशत है। बॉन्ड से संबंधित सूची को दो हिस्सों में जारी किया गया है। पहली सूची में बॉन्ड खरीदनें वालों के नाम है और दूसरी सूची में भुनाए (इनकैश) गए राजनीतिक दलों के नाम है। जानकारी 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 के बीच है।  

आंकड़ों के अनुसार बॉन्ड से प्राप्त दान के मामलें में  प्रथम स्थान पर बीजेपी पार्टी रही है जिसे 60 अरब का चंदा प्राप्त हुआ है। इसके बाद सबसे ज़्यादा टीएमसी को 16 अरब से अधिक रूपये प्राप्त हुए हैं। कांग्रेस को 14 अरब रूपये से अधिक चंदा प्राप्त हुआ है।

सबसे अधिक बॉन्ड खरीदनें  वाली लॉटरी कंपनी फ्यूचर एंड होटल सर्विसेज हैं जिसने 13.6 अरब रूपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे थे। दूसरे स्थान पर मेघा इंजीनियरिंग ने 966 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे  थे। 

 

बीबीसी की खबरों के अनुसार पूर्व में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज पर प्रवर्तन निदेशालय की की कार्रवाई भी होती रहीं है। इस कंपनी द्वारा सबसे अधिक बॉन्ड अक्टूबर 2021 में खरीदे गये थे जिसकी क़ीमत 195 करोड़ रूपये थी। इसके बाद इस कंपनी ने जनवरी 2022 में दो बार में 210 करोड़ रुपए से अधिक के बॉन्ड खरीदे थे।

 

न्यूज़लॉन्ड्री ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज कंपनी और इसके मालिक मार्टिन पर सीबीआई द्वारा मनी लांड्रिंग का केस दर्ज़ किया गया था। मनी लांड्रिंग मामले में पिछले साल 450 करोड़ रूपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त की थी। पिछले हफ्ते ही प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग जांच के संदर्भ में मार्टिन के दामाद के घर पर तलाशी की थी।

मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के मालिकों का संबंध तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी.आर से है। 

क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा 410 करोड़ रूपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे गए है। इस कंपनी के मालिक रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी है। मेघा ग्रुप भी इसमें शामिल है।

वेदांता लिमिटेड जिसको बिजनेसमैन अनिल अग्रवाल द्वारा चलाया जाता है। इन्होंने 399 करोड़ रूपये के बॉन्ड खरीदे थे। इस समूह पर कर्ज़ और पर्यावरणीय नियमों से छेड़छाड़ के आरोप हैं। 

हल्दिया एनर्जी लिमिटेड ने 375 करोड़ रूपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे जिसका स्वामित्व सीईएससी लिमिटेड के पास है जिसके मालिक आर.पी संजीव गोयनका हैं। यह कंपनी कोलकाता की बिजली आपूर्ति को पूरा करती है। अल जजीरा की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इस कंपनी को बिना किसी प्रतिस्पर्धा के बड़े कोयले भंडार पर कब्ज़ा दिया था। 

एस्सेल माइनिंग एंड इंड्रस्ट्रीज लिमिटेड ने 224.5 करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे।यह देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क खनन कंपनी है। यह कंपनी आदित्य बिड़ला ग्रुप का हिस्सा है।2014 में ओडिशा में खनन उल्लंघनों की जांच करने वाले एक विशेषज्ञ पैनल ने कंपनी को राज्य के वन क्षेत्रों में अवैध खनन का दोषी पाया था। 

न्यूजलॉन्ड्री की खबरों के अनुसार पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 30 कंपनियों द्वारा भाजपा को 335 करोड़ रूपये दिए गए थे। बाद में 11 अन्य कंपनियों ने 2016 से 2022- 23 तक भाजपा को 62.27 करोड़ रूपये का चंदा दिया गया जबकि इसी समय के दौरान इन्हीं कंपनियों पर केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच की जा रही थी।

 

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