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सांसद मनोज तिवारी की ‘गोद’ में तड़पता आदर्श गाँव!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अक्टूबर 2014 को एक योजना शुरू की थी- सांसद आदर्श ग्राम योजना। इसका उद्देश्य सांसदों के माध्यम से गांवों में बुनियादी जरूरतों को मुहैया कराना था, ताकि वहाँ विकास सुनिश्चित किया जा सके। योजना के मुताबिक हर सांसद को एक गाँव गोद लेकर उसका विकास कराना था। पर लगभग नौ साल बाद भी यह योजना शायद ही कहीं परवान चढ़ी हो। सांसदों ने गाँव गोद लिए ज़रूर लेकिन विकास सिर्फ़ नारों में दर्ज होकर रह गया। 

मोलिटिक्स ने ऐसे ही एक गाँव में जाकर पड़ताल की। चौहानपट्टी गाँव। यह गाँव लुटियन दिल्ली से करीब बीस किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है। मशहूर भोजपुरी गायक और फ़िल्म अभिनेता मनोज तिवारी इसी लोकससभा क्षेत्र से सांसद हैं। उन्होने इस गाँव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था। पाँच वर्ष से ज़्यादा का समय बीत चुका है लेकिन इस गाँव में बुनियादी चीज़ों का अभाव बना हुआ है।

 न पीने के लिए पानी, न चलने के लिए सड़क… 

इस गाँव में पानी एक बड़ी समस्या है। यहाँ किसी भी घर में सरकारी नल नहीं है। लोगों ने बताया कि हर तीसरे-पांचवें दिन सरकारी टैंकर आता है, वही पीने के पानी का अकेला ज़रिया है। भूमिगत जल का स्तर यहाँ काफ़ी नीचे जा चुका है। सेहत का ध्यान रखते हुए तमाम लोग RO पानी के कैन मँगवाते हैं जिससे आर्थिक बोझ पड़ता है। यह हाल सिर्फ़ चौहानपट्टी गाँव का नहीं, उससे जुड़े सभापुर गाँव का भी है। इस गाँव को भी सांसद महोदय ने गोद लिया हुआ है।  इस गाँव में सड़कों की हालत भी बदतर है। सड़क के नाम पर सिर्फ़ गड्ढे हैं। थोड़ी सी बारिश होने पर हर तरफ़ कीचड़ ही कीचड़ नज़र आता है। लोगों नें बताया कि सड़क बनाने का टेंडर तो कई बार निकला लेकिन बाद में सब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

 निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं… 

गांव में गंदे पानी की निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। गंदा पानी कॉलोनियों की गलियों से बहता हुआ गांव से सटी एक खाली जगह पर जमा हो जाता है। इससे गांव में मच्छरों का प्रकोप रहता है। गांव वाले कई बार इस समस्या के बारे में इलाके के विधायक, निगम पार्षद और सांसद तक से गुहार लगा चुके हैं, मगर कहीं कोई कार्र्वाई होती नज़र नहीं आती। घरों के बाहर खुली नालियाँ हैं जहाँ घर का सारा गंदा पानी और कूड़ा सड़ता रहता है। 

सिर्फ़ एक स्कूल…

चौहान पट्टी गाँव से सटे सभापुर गाँव में एक सरकारी स्कूल है। इस स्कूल की हालत भी ठीक नहीं है। आसपास के गाँव के बच्चों के पढ़ने के लिए यह एक अकेला स्कूल है। लिहाज़ा बच्चों की संख्या इतनी ज़्यादा है कि यह स्कूल तीन-चार शिफ्टों में चलता है। बच्चों ने बताया कि पढ़ाई तो अच्छी होती है मगर, तीन-चार घंटे की शिफ्ट की वजह से पढ़ने का समय कम मिलता है। गाँव के लोगों का कहना है कि यहाँ और भी स्कूल खुलने चाहिए ताकि शिक्षा व्यवस्था अच्छी हो सके। 

 निकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं… 

गांव में गंदे पानी की निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। गंदा पानी कॉलोनियों की गलियों से बहता हुआ गांव से सटी एक खाली जगह पर जमा हो जाता है। इससे गांव में मच्छरों का प्रकोप रहता है। गांव वाले कई बार इस समस्या के बारे में इलाके के विधायक, निगम पार्षद और सांसद तक से गुहार लगा चुके हैं, मगर कहीं कोई कार्र्वाई होती नज़र नहीं आती। घरों के बाहर खुली नालियाँ हैं जहाँ घर का सारा गंदा पानी और कूड़ा सड़ता रहता है। 

सिर्फ़ एक स्कूल…

चौहान पट्टी गाँव से सटे सभापुर गाँव में एक सरकारी स्कूल है। इस स्कूल की हालत भी ठीक नहीं है। आसपास के गाँव के बच्चों के पढ़ने के लिए यह एक अकेला स्कूल है। लिहाज़ा बच्चों की संख्या इतनी ज़्यादा है कि यह स्कूल तीन-चार शिफ्टों में चलता है। बच्चों ने बताया कि पढ़ाई तो अच्छी होती है मगर, तीन-चार घंटे की शिफ्ट की वजह से पढ़ने का समय कम मिलता है। गाँव के लोगों का कहना है कि यहाँ और भी स्कूल खुलने चाहिए ताकि शिक्षा व्यवस्था अच्छी हो सके। 

अस्पताल के नाम पर सिर्फ़ एक डिस्पेंसरी… 

स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल भी यहाँ ठीक नहीं है। इस गाँव में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर ले देकर एक सरकारी डिस्पेंसरी है। उसमें भी डॉक्टर सिर्फ़ एक। ढंग के प्राइवेट अस्पताल गाँव से कोसों दूर हैं। सड़कों के हालात आपने देख ही लिया है। ऐसे में एम्बुलेंस भी घर तक नहीं आ सकती। लिहाज़ा इमरजेंसी की स्थिति में लोगों की जान पर बन आती है। 

कुल मिलाकर यहाँ ऐसी कोई सुविधा नहीं जिसे देखकर इसे आदर्श गाँव कहा जा सके। हाई क्लास सुविधाएँ तो दूर, यहाँ बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं हैं। हर योजना की तरह यह योजना भी धरातल पर उतरते-उतरते दम तोड़ती नज़र आती है। लोगों की यह भी शिकायत है कि सांसद मनोज तिवारी गाँव को गोद लेने के बाद यहाँ एक बार भी नहीं आये।

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